Expression Of Feelings By Mukesh Dewani
“”मेरा अनुभव गुरु क्या है””
जब से होश संभाला था,
जिंदगी वैसे ही जी रहा था, जैसे सब जीते है, जिंदगी मैं कोई ऐसा लक्षय नही था की उसे पाने के लिए संघर्ष करु, कोई ऐसा सपना भी नही था जिसे पूरा करने की कोशिश करु।
सच कहूँ तो जीवन मे जीवन का अहसास ही नही था कि उसे समझ सकू।
गुरु क्या होता हैं ?
गुरु कौन होता है??
गुरु का महत्व क्या होता है?
उनके होने से जीवन मे क्या होता है?
ऐसी बड़ी बड़ी बातो के सवालो के जवाब सिर्फ किताबी ज्ञान वाले ही थे और उनका मुझसे मेरी सोच से कोई नाता न था।
जीवन मे बहुत लोग मिले जिन्होंने मुझे ज्ञान की बाते बताई ,कुछ सिखाया, स्कूल मैं या जीवन पथ पर मैं उन्हें ही गुरु समझता था।
फिर एक दिन अचानक श्री अभिमन्यु जी भैया जी से मुलाकात हुई , वो मुलाकत वो मुलाकात साधरण सी थी जैसे किसी से आम मिलते हैं,
पर उस मुलाकात मैं कुछ अजीब सा था, उस समय जीवन मे पहली बार दिमाग से नही दिल से अटेचमेंट हो गया।
उनके प्रति आदर भाव, प्रेम दिल मे प्रज्वल्लित हो गया।
पर उस समय भी मैं नही समझ पाया और ऐसे सिर्फ अजीब सा अटैचमेंट का नाम दे दिया।
उनके साथ बाते करते करते, अपने मन की हर बात शेयर करते करते, एक पल ऐसा आया कि मैं कुछ भी नही बोलता था और वो मेरे मन की बात समझ जाते थे।
मुझे गुरु की तरह नही, मित्र की तरह, एक भाई की तरह, और कभी पिता की तरह समझाया मेरा मार्गदर्शन किया।
मैं हैरान था कि मैं खुद को या खुदके बारे मे नही जानता था जितना उन्होंने मेरे बारे मे समझा,
मेरी गलतियां, मेरी खूबियां, मेरी कमजोरिया ,मेरे ख्यालात, मेरे सवालात हर वो बात जो मैं किसी से कह नही पाता था और स्वयं भी उससे दूर भागता था।
लोग चमत्कार को नमस्कार करते है, पर मैं तो पहले जुड़ गया, उनके चरणों मे, उनके ह्रदय मैं जो स्थान मिला उसे पाकर मैं धन्य हो गया।
मुझे गुरु की महिमा समझ आ गयी वो आपके साथ हर पल रहते है आप चाहे अच्छा काम कर रहे हो या कोई बुरा काम कर रहे हो।
वो आपका साथ कभी नही छोड़ते चाहे आप कितनी भी गलतियां करते हो।
हर समय, हर संभव प्रयास करते रहते है कि आप को सही और गलत की पहचान हो सकें।
आपको हर पल सजग करते रहते है।
मेरे जीवन बहुत से उतार चढ़ाव आये, बहुत से संकट, बहुत सी परेशानियां, बहुत से दुःख पर उन्होंने मुझे कभी विचलित नही होने दिया, कभी मुझे हारने नही दिया।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप मे हर पल मेरे साथ है।
मेरे जीवन मे 1 चमत्कार नही, चमत्कारों की बारिश हो गई,
उनके आशीर्वाद रूपी वर्षा से
हर टेंशनो का हिम्मत से सामना करता हूं।
गुरु की महिमा क्या होती है मुझे समझ आ गया।
बस आपका विशवास एवं श्रद्धा सच्ची होनी चाहिए।
गुरु का प्यार आप पर निरंतर बरसता रहेगा।
- मुकेश देवानी (इटारसी)
Expression Of Feeling By Vivek Agrawal
श्री अभिमन्यु – साक्षी स्वरूप
“जब तुम मेरी ओर देख रहे थे तो मैं ही था
जो तुम में से देख रहा था और मैं ही हूँ जो दिख रहा हूँ।
।।मैं दिखूँगा जब तुम देखोगे।।”
- श्री अभिमन्यु
COVID-19 की दूसरी लहर में एक अद्भुत घटना घटी। मेरे दिवं. पिताजी, माँ, भाई और मुझे, सबको भयंकर कोविड हुआ। ऐसी परिस्थिति में भैय्या जी करुणा करके Whatsapp पर जानकारी लेते रहते और कृपा मार्गदर्शन करते रहते।
एक शाम, पिताजी और मैं भजन कर रहे थे। जोरदार कीर्तन हो रहा था। बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के पिताजी का SpO2 92% आ गया, यह इतने दिनों में पहली बार था। कि कुछ ऐसा घटा कि भजन करते करते मैंने पिताजी से क्लेश कर लिया। बहुत लड़ा। फिर बहुत निर्लज्जता से भैय्याजी को शाम का रिपोर्टिंग मैसेज कर दिया और अपने इस कृत्य को साफ़ छुपा गया, इस बात से बेख़बर कि साक्षी तो सबकुछ देख रहा है।
थोड़ी ही देर बाद भैय्याजी का प्रत्यक्ष संदेश आया,
“सही है…तू भी मन को शांत रख और घर वालों से प्रेम से रह … ये बीमारी के कारण ही सही पर तुम सब साथ हो तो इसे भी मौका ही समझो और प्रेम से रहो“।
इस घटना के दस दिन बाद पिताजी का देहावसान हो गया।
श्री अभिमन्यु मेरे साक्षी ईश्वर हैं। मेरे हर शारीरिक मानसिक कर्म के साक्षी हैं। उनके साथ माता-पिता, बंधु, स्वामी और सखा के संबंध का अनुभव तो सदा से ही रहा है। मैं सचमुच भाग्यवान हूँ कि उन्होंने अपने साक्षी स्वरूप का दर्शन, स्वयं कृपा करके, मुझे कराया है।
गुरुमंत्र
गुरुमंत्र की महिमा अनन्त है। चाहे वो सत्य को जानने की इच्छा हो या भय से मुक्ति की कामना, अनन्त काल से पुरुषों ने उसकी पूर्ति के लिए गुरुमंत्र का आधार लिया है। और कैसे कैसे तप किए, सेवा की, संयम रखा, तब जाकर गुरुमंत्र मिला – उसका अर्थ तो तब भी प्रकट नहीं हुआ!
कोरोना के इस भयंकर त्रासदी काल में – मुझे अनूप जलोटा जी की पंक्तियाँ याद आती हैं,
“सूरज की गर्मी से, तपते हुए तन को, मिल जाए तरुवर की छाया…..,
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया…..”
भैय्या जी ने कृपा-अनुकम्पा करके स्वयं ही, गुरुमंत्र की छत्र छाया सबको सहज ही प्रदान कर दी, जिससे तपता हुआ भक्त जनमानस विश्राम पा सके…अभय कर दिया।
साथ खड़ा अभिमन्यु तेरे,
क्यों माने तू उसे परे?
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
।।साथ खड़े अभिमन्यु मेरे।।
साथ खड़े अभिमन्यु मेरे!, इसी गुरुमंत्र के सहारे हमने ये कोविड वैतरणी पार की है, इसी मंत्र के साथ पिताजी को विदा किया है। यही गुरुमंत्र सबका कल्याण करे, यही मंगल कामना ….
- विवेक अग्रवाल (बोकारो)
Expression Of Feelings By Priyal Navlani
IMPRINTED THOUGHTS
The pen and paper waited there to be used,
And on the other end I stood looking at them.
Several thoughts rushed through my mind,
Wanting to be imprinted on those white pages.
I expected an easy flow of thoughts,
Hoping not to fumble with words,
But once I began, it seemed to take ages,
To put my heart out on those empty pages.
It is strenuous to describe how I feel,
More difficult to explain that it is real.
In today’s world finding a mentor is hard,
Especially someone who teaches you to live life with a happy heart.
I feel blessed to be connected with Abhimanyu Ji.
He has taught me a lot.
I am yet to learn more from him,
And I say this with absolute delight.
A different energy radiates,
And it is baffling to describe it.
But when you are there, you know,
That you can only feel it.
Everyone has different experiences,
All are filled with diverse thoughts.
Mine are full of happiness,
And these words are not enough.
Mistakes seem beautiful,
Because I know he will guide.
Fears take a back seat,
Because he is by my side.
I have tried to put down how I feel,
My hands did shake and this is real.
Finally my heart is poured out,
Imprinting those empty pages.
-Priyal Navlani (Itarsi)
Expression Of Feelings By Ajeet Navlani
मैं व्यापारी नहीं, प्रभु भगत हूं ।
व्यापार मुझे आता नहीं है।
जब से तेरी शरण मिली है ,
मुफलिसी से नाता नहीं है ।
सौदागरी में पारंगत नहीं हूं ,
मोलभाव आता नहीं है।
जब से तेरी नजर पड़ी है ,
कुबेर का खजाना घटता नहीं है।
मैं लोकचतुर नहीं, प्रभु भगत हूं ।
लोकाचार मुझे आता नहीं है।
जब से सुखतवा धाम में आया ,
तन्हाई से नाता नहीं है।
मेल मिलाप में निपुण नहीं हूं ,
बोलचाल मुझे आता नहीं है।
तेरी करुणा की तरंग से अभिमन्यु,
प्रेम हर्ष उल्लास यहीं है ।
मैं व्यापारी नहीं ,प्रभु भगत हूं ।
व्यापार मुझे आता नहीं है।
-अजीत नवलानी, इटारसी|
Expression Of Feelings By Dinesh Chandra Katara
Prem ka ek sagar hai Shree Abhimanyu.
Dhukho ka Nivaran hai shree abhimanyu.
Har jagh Har pal intazaar ki kadi hai Shree Abhimanyu.
Har Din Har Subah ek Naya jivan hai Shree abhimanyu.
Dheko to khushiyo Se Bhari Sham ka Ujala hai Shree Abhimanyu.
Har din Har pal Naya Avatar hai Shree Abhimanyu.
Avo chaley ek Nai rah par Har rasto par mojud hai Shree Abhimanyu
👏 jai guru Dev.
Jai Shree Abhimanyu Rajkumaar 😌😌
- Dinesh Chandra Katara (Banswara)
Expression Of Feelings By Ratan Navlani
मुझे सारा संसार मिला
मुझे सारा संसार मिला,
जब से श्री अभिमन्यु जी का प्यार मिला ।
इस भागदौड़ दुनिया में,
अभिमन्यु जी जैसा गुरु मिला ।
मुझ जैसे सुदामा को,
भैया जी जैसा कृष्ण मिला।
इस जीवन के उतार-चढ़ाव जिंदगी में,
अभिमन्यु जी का साथ मिला।
मुझे दिलजले से,
आज भी दिल शायराना का खिताब मिला।
मुझे सारा संसार मिला,
जब से श्री अभिमन्यु जी का प्यार मिला।
-रतन नवलानी इटारसी
Expression Of Feelings By Meenakshi Kumavat
“प्रणाम प्रभु,🙏🙏🙏🌹
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सदगुरु के
पावन चरणों में सादर समर्पित
शीर्षक – गुरूता
****************
तुम गुरूता
अनुग्रह की गंगोत्री से
उतरी मौन अनुभूति हो
और क्षुब्ध हृदय स्थल में
समाती समानुभूति हो
तुम करुणा बन
दग्ध तिरस्कृत मन को
प्रेम से पावन करती हो
और अग्नि परीक्षाओं में
अनुराग के आश्रय में
स्नेहिल सहानुभूति हो
तुम श्रद्धा बन
मंगल आशीर्वचन से
जीवन का उद्धार करती हो
और तुम कल्याणमय
पुण्य वरदान देती हो
तुम क्षमा बन
अनगिनत अंधियारों में
प्रभात सा प्रकाश भरती हो
और करुणा धार सी बह
प्राणों में प्राण भरती हो
हे मंगलमय ममता
तुम प्रेम की पर्याय हो
या प्रेम की प्रतिमूर्ति हो
तुम प्रेमारोहित करुणा हो
तुम मेरी लघुता को पूर्णता
देने वाली परम पूज्य
गुरूता हो..
प्रभु की भक्त वत्सला गुरूता को
नमन
स्वरचित
@ मीनाक्षी कुमावत
पिंडवाड़ा (सिरोही)
राजस्थान
“
Expression Of Feelings By Divya Solanki
हे प्यारे अभिमन्यु मेरे
जीवन की एक आस हो तुम
प्रतिपल का विश्वास हो तुम
मैं जो कुछ भी हूं इस जीवन में
उसका सकल आधार हो तुम
हर दुख में खड़े तुम साथ मेरे
मुझे सुख की राह दिखाते तुम
पीछे ना हटो मैं कर्म पथ से
मुझे ऐसा ज्ञान बताते तुम
कोई शब्द नहीं ऐसे जिनसे
मैं तेरा गुणगान करूं
कुछ कह पाऊं कुछ लिख पाऊं
बस इतनी कृपा कर देना तुम
पाया जो तुम्हें इस जीवन में
तो फिर क्यों ना जरा इठलाऊँ मैं
जिस कारण से तूने चुना मुझे
मैं उस पर खरी उतर जाऊं
कभी माता-पिता कभी सखा बने
हर रूप पर मैं वारी जाऊं
इस जनम में क्या हर जनम में भी
बस साथ तेरा पाना चाहूं
यही आस मेरी यही प्रार्थना
कभी मुझे नहीं भुलाना तुम
चाहे लाख कमी ही क्यों ना हो
पर अपनी कृपा बरसाना तुम।
* दिव्या सोलंकी (भीलवाड़ा)